' नरेंद्र मोदी ने छह बार केशुभाई सरकार को गिराने की साजिश रची, कच्छ में आये भूकंप के दौरान सफल हुए और गुजरात के मुख्यमंत्री बन गये '
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप पटेल ने गुजराती भाषा में प्रकाशित अपनी किताब 'धरतीपुत्र केशुभाई' में बताया है की, किस तरह गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल को सत्ता से हटाने के लिए नरेंद्र मोदी और अमित शाह साजिश किया करते थे।
WND Network.Ahmedabad : आज के अवसरवादी और गोदी मीडया के दौर आम तोर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे लोगो को अक्सर अच्छी बाते ही बताई जाती है। मोदी को पसंद न आने वाली और सत्ता पक्ष भाजपा की सरकार का बुरा लगे ऐसी सच्ची कड़वी बातो लोगो तक नहीं पहुंचने के इस दौर में गुजरात के एक वरिष्ठ पत्रकार दिलीप पटेल द्वारा एक किताब लिखी गई है। पत्रकार दिलीप पटेल ने गुजराती भाषा में प्रकाशित अपनी किताब 'धरतीपुत्र केशुभाई' में बताया है की, किस तरह गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल को सत्ता से हटाने के लिए नरेंद्र मोदी और अमित शाह साजिश किया करते थे। पटेलने अपनी किताब में लिखा है की, उस वक्त गुजरात में बतौर संगठन मंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने छह बार गुजरात की केशुभाई सरकार को गिराने की साजिश रची थी। आखिरकार जब साल 2001 के दौरान कच्छ - गुजरात में भूकंप आया तो उस दौरान गुजरात की केशुभाई की सरकार विफल हुई है ऐसा केंद्रीय नेतृत्व को बताकर नरेंद्र मोदीने गुजरात में सियासत की बागडोर संभाली थी। केवल इतना ही नहीं, पटेल ने तो अपनी किताब में यह भी दावा किया है की, मोदी के साथ अमित शाह भी मिले हुए थे। अमित शाह ने तो उस वक्त केशुभाई पटेल के खिलाफ तक़रीबन 1200 भाजपाई नेता को पर्चे भी बांटे थे, जिसे गुजरात में पत्रिका कांड से भी जाना जाता है। मतलब की, अमित शाह ही गुजरात भाजप में पत्रिका कांड के जनक थे।
दिलीप पटेल अपनी किताब में आगे लिखते है की, बाबूभाई जशभाई एक बार केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे लेकिन केशुभाई ने इससे इनकार कर दिया था। दिलीप पटेलने गांधीनगर में हुई एक मीटिंग का हवाला देते हुए लिखा है की, जब गुजरात के मोरबी में मछु बांध टूटा तो राहत कार्य लगभग पूरा होने के बाद जब मुख्यमंत्री बाबूभाई पटेल और केशुभाई गांधीनगर लौटे तो कांग्रेस पार्टी ने सरकार पर गलत आरोप लगाया था। जिससे निराश होकर बाबूभाई पटेल इस्तीफा देने के लिए तैयार हो गए थे। इस्तीफा देने के लिए बुलाई गई बैठक गांधीनगर में केशुभाई के आधिकारिक आवास पर हुई। तब केशुभाई पटेल गुजरात सरकार में कैबिनेट में नवीन चंद्र बारोट के बाद तीसरी रेंक के मंत्री हुआ करते थे।
बैठक में मुख्यमंत्री बाबूभाई जशभाई पटेल ने कहा कि मैं इस्तीफा दे रहा हूं और मैं केशुभाई को मुख्यमंत्री बनाना चाहता हु। लेकिन तब केशुभाई ने कहा कि चुनाव सिर पर है और आपका इस्तीफा देना ठीक नहीं है, मुझे मुख्यमंत्री बनाना ठीक नहीं है। मुझे मुख्यमंत्री बनाने से मोर्चा मोर्चा को मदद नहीं मिलेगी। उन्होंने बाबूभाई से कहा कि, आप हमारे वरिष्ठ नेता हैं। इसलिए पूरा कार्यकाल पूरा करें। मोरबी में जो हुआ उसमें आपकी व्यक्तिगत गलती नहीं है। इसलिए आपको इस्तीफा नहीं देना चाहिए। अंततः बाबूभाई ने इस्तीफा दे दिया और सरकार को बर्खास्त कर विधानसभा भंग कर दी। गुजरात में राष्ट्रपति शासन लग गया।
और जब मई 1980 में चुनाव हुए तो कांग्रेस के 141 विधायक चुने गए। माधव सिंह सोलंकी लाशो की राजनीति करते हुए निर्वाचित हुए। जनता पार्टी के पास केवल 31 विधायक थे और बाबू भाई चुनाव हार गये थे।
पहेली बार 1995 में बनी भाजपा की, केशुभाई पटेल की सरकार को गिराने में तीन बार साजिश रची थी मोदीने : गुजरात में केशुभाई पटेल की सरकार को किसी न किसी बहाने बदनाम करने में नरेंद्र मोदी आगे हुआ करते थे। दिलीप पटेलने अपनी किताब के इस बारे में पूरा एक चेप्टर लिखा है। मोदी उस समय संगठन मंत्री हुआ करते थे। सीएम केशुभाई की एंटी चेंबर में बैठकर नरेंद्र मोदी संघ के नाम पर सियासी हुकम भी किया करते थे। पार्टी के शीर्ष नेताओ नरेंद्र मोदी लगातार केशुभाई की सरकार के फैसलों के खिलाफ भड़काया करते थे। शंकरसिंह वाघेला उनकी सरकार को गिराने का काम कर रहे है ऐसा लगातार मोदी केशुभाई को जताने लगे थे। जब दूसरी बार केशुभाई गुजरात के मुख्यमंत्री बने तब तक नरेंद्र मोदी को गुजरात से हटाया जा चुका था। अब मोदी दिल्ही में बैठकर लगातार भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को गुजरात की केशुभाई सरकार के खिलाफ भड़काया करते थे। आखिरकार जब गुजरात में भूकंप आया तब गुजरात राज्य की सरकार विफल हुई है ऐसा समझाने में मोदी को सफलता मिलती है। और आडवाणी के कहने पर वाजपायी केशुभाई पटेल को हटाकर मोदी को गुजरात की सियासी कमान सौंपते है।
तीन दसक से भी जयादा की पत्रकारिता का निचोड़ है दिलीप पटेल की किताब में : 63 वर्ष की आयु के दिलीप पटेल पिछले 34 साल से गुजराती पत्रकारिता कर रहे है। गुजरात के लगभग सभी प्रमुख अखबारों में वह काम कर चुके है। गांधीनगर और गुजरात की राजनीति को उन्हें ने बहोत नजदीक से देखा है। 90 के बाद पैदा हुए बच्चे पत्रकार दिलीप पटेल को मोदी विरोधी मानते है, जो सच नहीं है। पटेलने हमेशा से सत्ता के खिलाफ लिखा है, चाहे फिर वो कांग्रेस हो या भाजपा। आप को यह जानकार आश्चर्य भी होगा की, केशुभाई पटेल पर किताब लिखने वाले दिलीप पटेल ने एक वक्त गुजरात समाचार में काम करते हुए केशुभाई पटेल की सरकार की जन विरोधी नीतिओ के खिलाफ सब से ज्यादा खबरे लिखी थी।