जब नरेंद्र मोदी ने पूर्व चुनाव आयुक्त लिंगदोह को उनके पूरे नाम 'जेम्स माइकल लिंगदोह' से संबोधित किया, जानिये ऐसा कया हुआ था उस वक्त...

एक समय था जब देश में हर कोई जानता था कि टीएन शेषन या लिंगदोह कौन है...

जब नरेंद्र मोदी ने पूर्व चुनाव आयुक्त लिंगदोह को उनके पूरे नाम 'जेम्स माइकल लिंगदोह' से संबोधित किया, जानिये ऐसा कया हुआ था उस वक्त...

WND Network.Ahmedabad :- गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान में हो रही देरी के चलते विपक्ष समेत लोग भारत के चुनाव आयोग को शक की निगाह से देख रहे हैं। जब चुनाव आयोग हिमाचल प्रदेश चुनाव की तारीखों की घोषणा कर रहा था तब मीडिया ने भी इस बारे में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार से सवाल किये थे। जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने जवाब दिया कि,  दोनों राज्यों की भौगोलिक स्थिति अलग है और चुनाव आयोग निष्पक्ष रूप से काम कर रहा है। आज बहोत कम ही लोग जानते हैं कि वर्तमान मुख्य चुनाव आयुक्त कौन हैं? या राजीव कुमार कौन हैं? राजीव कुमार 25वें मुख्य चुनाव आयुक्त हैं। लेकिन एक समय था जब देश में युवा और बूढ़े सभी जानते थे कि टीएन शेषन या लिंगदोह कौन है। क्योंकि, ये दो व्यक्ति ही हैं जिन्होंने यह स्थापित किया कि भारत का चुनाव आयोग वास्तव में एक स्वतंत्र-स्वायत्त संवैधानिक निकाय है। गोधराकाण्ड की घटना और उसके बाद गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्धारित समय से नौ महीने पहले विधानसभा चुनाव को भंग करने का फैसला किया था और गुजरातमे चुनाव करवाने की सिफारिश की थी। तब तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त लिंगदोह ने उस पर रोक लगाईं थी। और उस वक्त केंद्र में बीजेपी-एनडीए वाजपेयी सरकार होने के बावजूद चुनाव आयुक्त लिंगदोह अपने फैसले पर अडिग रहे थे। और उस वक्त केंद्र में बीजेपी-एनडीए वाजपेयी सरकार होने के बावजूद चुनाव आयुक्त लिंगदोह अपने फैसले पर अडिग रहे थे। यहां तक ​​कि वाजपेयी समेत तत्कालीन राष्ट्रपति कलाम और सुप्रीम कोर्ट ने भी चुनाव आयोग के अधिकार और लिंगदोह के फैसले को बरकरार रखा था। और लगभग उसी समय, नरेंद्र मोदी ने एक जनसभा में मुख्य चुनाव आयुक्त जेएम लिंगदोह को उनके पूरे नाम जेम्स माइकल लिंगदोह से संबोधित करके विवाद को जन्म दिया था।

16 अगस्त 2002 को, मुख्य चुनाव आयुक्त जेएम लिगदोह की अध्यक्षता में चुनाव आयोग ने यह कहते हुए चुनाव स्थगित कर दिया कि गोधराकाण्ड की घटना और उसके बाद गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों के चलते गुजरात में चुनाव कराने का कोई अच्छा समय नहीं है। ठीक चार दिन बाद, नरेंद्र मोदी ने 20 अगस्त, 2002 को वडोदरा के पास बारडोली में एक जनसभा की। जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री  नरेंद्र मोदी ने चुनाव आयुक्त लिंगदोह का पूरा नाम 'जेम्स माइकल लिंगदोह' कहा और परोक्ष रूप से ये संकेत दिया कि वह ईसाई समुदाय से आते हैं और उनका सोनिया गांधी से सम्बन्ध हैं। और उस वक्त पत्रकारों ने जब नरेंद्र मोदी से चुनाव आयुक्त लिंगदोह का नाम बताने का औचित्य और चर्च में कौन मिलता है ऐसा सवाल किया तो नरेंद्र मोदी ने 'हां, हो सकता है ' कहकर पूरी बात को राष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियां बटोरने के लिए मजबूर कर दिया था।

आज बीस साल बाद समय बदल गया है। कल जो नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे वह आज प्रधानमंत्री हैं। मोदी और वाजपेयी में बहुत फर्क है। विपक्ष जब गुजरात और हिमाचल के चुनाव की तारीखों पर सवाल उठा रहा है तो वही बीजेपी अब कह रही है कि चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है। हालांकि, यह अलग बात है कि शेषन या लिंगदोह के बाद अब तक कोई मुख्य चुनाव आयुक्त नहीं हुआ जिसने केंद्र सरकार का कान खींचा हो।

विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के बीच गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों पर चुनाव आयोग खामोश :- गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कब होगा, यह कोई नहीं जानता। हर कोई अपने-अपने तरीके से कयास लगा रहा है। गुजरात सरकार जिस तरह से कार्यक्रम कर रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम तय किए जा रहे हैं, उसे देखते हुए फिलहाल कोई घोषणा होती नहीं दिख रही है। भर्ती और तबादलों का दौर भी जोरों पर है। नरेंद्र मोदी भी एक बार फिर गुजरात आ रहे हैं। इसे देखकर गुजरात की राजनीति को समझने वाले लोग भी अब टिप्पणी कर रहे हैं कि, क्या चुनाव आयोग गुजरात सरकार के कार्यक्रमों के पूरा होने का इंतजार कर रहा है ?