SC/ST वर्ग के कोटे में कोटा दिए जाने का फैसला लागू नहीं होगा, BJP के टिकट पर चुन कर आये रिज़र्व केटेगरी के सांसदोंने प्रधानमंत्री को मिलकर जताया विरोध, वीडियो में देखे सांसद विनोद चावड़ा ने कया कहा...

एक हप्ते पहले सुप्रीम कोर्ट की बेचने सुनाया था फैसला, कोर्ट ने कहा था कि SC-ST कैटेगरी के भीतर नई सब कैटेगरी बना सकते हैं और इसके तहत अति पिछड़े तबके को अलग से रिजर्वेशन दे सकते हैं

WND Network.New Delhi : पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के SC/ST वर्ग के कोटे में कोटा दिए जाने के फैसले को लेकर अब का कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) का स्टेण्ड बहार आया है। आज संसद भवन में सत्र के दौरान भाजपा की टिकट पर चुन कर आये SC/ST समुदाय से आने वाले सांसदो के एक प्रतिनिधि मंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया था। एक हप्ते पहले सुप्रीम कोर्ट की बेचने फैसला सुनाया था, कोर्ट ने कहा था कि SC-ST कैटेगरी के भीतर नई सब कैटेगरी बना सकते हैं और इसके तहत अति पिछड़े तबके को अलग से रिजर्वेशन दे सकते हैं। 

देस की सर्वोच्च अदालत के इस फैसले के बाद भारतीय राजनितिक दल कोटा के भीतर कोटा देने के बात को लेकर अलग अलग नजर आ रहे थे।  खास कर केंद्र की सत्ता मे रहे सब से बड़े दल भाजपा द्वारा इस सम्बन्ध में कोई स्टेण्ड नहीं लिया था। आज भाजपा के SC/ST समुदाय से आने वाले सांसदों ने प्रधानमंत्री मोदी से भेंट कर पुरे मामले का विरोध किया है।  दरअसल केंद्र सरकार अपने अनुसचित जाती व् जनजाति समुदाय से आते सांसदों द्वारा ही इस मामले को सार्वजानिक करना चाहती थी। शायद यही वजह रही की, छोटी छोटी बात को लेकर प्रेस वार्ता करने वाली भाजपा को इस पुरे मामले में अपनी राय रखने में एक सप्ताह का समय लगा।  

गुजरात की अनुसूचित जाती की अनामत बैठक कच्छ से चुनकर आये सांसद विनोद चावड़ा ने  PM मोदी की अनुसूचित जाति - जनजाति समुदाय से आने वाले भाजपाई सांसदों की मुलाक़ात के बारे में बताया था।  भाजपा की केंद्र सरकार और जिन राज्यों में भाजपा की सरकार है वहा इस फैसले को लागू नहीं किया जायेगा ऐसा आश्वाशन प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिया गया है ऐसा MP चावड़ा ने बताया था।  

आप को बता दे की, सुप्रीम कोर्ट की बेच ने  6:1 के बहुमत से फैसला में साफ कर दिया था कि, राज्यों को कोटा के भीतर कोटा देने के लिए एससी, एसटी में सब कैटेगरी बनाने का अधिकार है। अदालत के फैसले के बाद यह तय हो गया कि राज्य सरकारें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणियों के लिए सब कैटेगरी बना सकती हैं।  सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग (सेवाओं में आरक्षण) अधिनियम, 2006 संबंधी एक मामले में निर्णय देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किन्हीं समुदायों के अधिक पिछड़े लोगों को अलग कोटा देने के उद्देश्य से अनुसूचित जातियों का उप-वर्गीकरण किया जा सकता है।  

शीर्ष अदालत का यह फैसला ने साल 2005 के ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश सरकार के फैसले को पलट दिया थया जिसमें अदालत ने माना था कि, संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत सभी अनुसूचित जाति समूह एक समरूप समूह थे।  अनुच्छेद 341 राष्ट्रपति को कुछ जातियों और वर्गों को अनुसूचित जाति घोषित करने का अधिकार देता है।

RJD, मायावती और चंद्रशेखर ने जताया था विरोध : जहां एक और कोटे में कोटा दिए जाने के फैसले को लेकर NDA बटा हुआ था वही विपक्ष समेत की पार्टिया और नेता भी इस फैसले का विरोध कर रहे थे।  NDA सरकार में सहयोगी चिराग पासवान इस फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन करने वाले है।  वही जीतन मांझी भी खुलकर इस मुद्दे पर बोल नहीं रहे। जब की मोदी की सरकार में सब से बड़े सहयोगी रहे TDP के आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री नायडू इस फैसले के समर्थन में थे।  कमोबेस दक्षिण भारत के सभी राजनितिक दल इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की राय से सहमत थे। RJD, मायावती और चंद्रशेखर ने  फैसले का विरोध किया था।